शराब पीने के बाद आप कंट्रोल क्यों खोने लगते है? आइये जानते है इसके बारे में|
 

‘शराबी’ फिल्म में अमिताभ बच्चन गाते हैं कि नशा शराब में होता तो नाचती बोतल| दिल को समझाने के लिए यह दलील अच्छी है लेकिन इसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि नशा शराब में हो या दिमाग में चढ़ता तो है और हमसे वो सब करवाता है जो हम होश में करने के बारे में शायद ही सोचें| सवाल यह है कि आखिर शराब ऐसा क्या करती है कि इसे पीने के बाद दिमाग का बेड़ा गरक हो जाता है| तो चलिए जानते है इसके बारे में संषेप में|

शराब पीने के बाद आप कंट्रोल क्यों खोने लगते है? आइये जानते है इसके बारे में|

 



दरअसल गले में उतरते ही यह शराब पहुंचती है आपके पेट में जहां 10% एल्कोहल सोख ली जाती है|बाकी की शराब छोटी आंत में जाती हैं जहां खून की नलियों में इसे सोख लिया जाता है| हमारा लीवर 15 मिलीग्राम/प्रति घंटा शराब ही चयापचय (मेटाबॉलाइज़) कर पाता है| यानि इतनी मात्रा की मदीरा को ही ऊर्जा में बदला जा सकता है| इसके ऊपर अगर आपने पी तो शराब शरीर में जमने लगेगी और आपका शरीर नशे के संकेत देने लगेगा|शराब आपके लीवर में दो एनज़ायम्स की बदौलत मेटाबॉलाइज़ होती है – ADH और ALDH| सबसे पहले शराब को मेटाबॉलाइज़ करने का काम ADH करता है जो इसे एसिटैलडीहाइड में बदलता है|एसिटैलडीहाइड एक जहरीला मिश्रण होता है| हमारे वो सिरदर्द से भरे हैंगओवर की वजह इसे ही माना जाता है| खैर, तो एसिटैलडीहाइड को फिर ALDH, एसिटिक एसिड यानि विनेगर में मेटबॉलाइज़ करता है| दो ड्रिंक के बाद नशे के लक्षण थोड़े नजर आने लगते हैं| इसी वजह से आप कुछ ऐसा करने लगते हैं जो आप होश में शायद ही करें जैसे अपने बॉस से जरूरत से ज्यादा फ्रेंडली होने की कोशिश|

 

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शराब हमसे ये सब करवा कैसे लेती है?

शराब पीने के बाद आप कंट्रोल क्यों खोने लगते है? आइये जानते है इसके बारे में|

हमारे दिमाग में होते हैं गाबा न्यूरोन्स, जिन्हें हम स्टॉप न्यूरोन्स भी कह सकते हैं और ग्लूटोमैटर्जिक या गो न्यूरोन्स जो हमसे काम करवाती है| शराब इन दोनों न्यूरोन्स पर असर डालती है और कुल मिलाकर हमारे दिमाग के काफी ज्यादा हिस्से में काम ठप्प पड़ जाता है| इसमें से एक हिस्सा है प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स यानि दिमाग के आगे का हिस्सा| यह काफी सक्रिय होता है लेकिन शराब इसे भी काम का नहीं छोड़ती|

 




 

 

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शराब पीने के बाद अच्छा क्यों लगता है?

शराब पीने के बाद आप कंट्रोल क्यों खोने लगते है? आइये जानते है इसके बारे में|

 




 

क्योंकि शराब उन न्यूरोन्स को सक्रिय करता है जो हमें अच्छा महसूस करवाते हैं| इसे डोपामीन फील गुड न्यूरोट्रांसमीटर कहते हैं जो शराब के असर का हमें बार बार एहसास दिलाता है और हम एक और ड्रिंक के लिए भागते हैं| और तीन चार ड्रिंक्स के बाद यानि शरीर में 50 मिलीग्राम शराब के जमा होने के बाद तो फिर जो होता है, वही होता है| नशे के और दूसरे असर भी दिखाई पड़ने लगते हैं जैसे पैर लड़खड़ाना|दस ड्रिंक्स के बाद तो हालत बदतर होते चले जाते हैं| उल्टी, जी घबराना, कुछ याद नहीं आना, ठीक से बोल नहीं पाना, हायपरथर्मिया जब तापमान 104 डिग्री से ऊपर चला जाता है| हायपोवेंटीलेशन जब हम बहुत ही धीमी गति पर सांस ले पाते हैं जिसकी वजह से खून में कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है| इन सब हालातों से बचने के लिए जरूरी है कि शराब पीते वक्त अपने दिमाग का साथ न छोड़ें|

 

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तो ये था आज पोस्ट हमारे सभी भाई लोगो के लिए जो शराब पीते है उम्मीद करते है आपको पसंद आएगा|और अगली बार जितनी कैपसिटी हो उतनी ही पिये |

 

 

 

By SUDHIR KUMAR

नमस्कार पाठको| I am Sudhir Kumar from haridwar. I am working with a company as a quality Engineer. i like to singing,listening music,watching movies and wandering new places with my friends. And now you can call me a blogger. If you have any suggestion or complain you direct mail me on sudhir.kumart.hdr1989@gmail.com

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