चीनी खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता| यह बात कोई नई नहीं है लेकिन यह बात भी उतनी ही पुरानी है कि शक्कर से परहेज़ करना कई बार इंसान के बस के बाहर की बात हो जाती है| पढ़िए चीनी हमारी सेहत को किस तरह और किस किस हालत में पहुंचा देती है|17वीं शताब्दी में एक अंग्रेजी डॉक्टर हुआ करते थे, थॉमस विलिस जिन्होंने अपनी एक रिसर्च में कहा था कि एक डायबिटीज़ के मरीज़ का पेशाब ‘कमाल का मीठा होता है, एकदम शक्कर या शहद जैसा..’ यानि सदियों पहले डॉ विलिस ने खाने में शक्कर की मात्रा अधिक होने को लेकर चेता दिया था| साइंस पत्रकार गैरी टॉब्स की पिछले साल आई किताब ‘द केस अगेंस्ट शुगर’ में इस बात का ज़िक्र किया गया था| अपनी किताब में टॉब्स ने लिखा कि मीठे को लेकर हमारी पसंद न सिर्फ हमें मोटा कर रही है – बल्कि वो हमें कुछ इस तरह मार रही है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते| सिर्फ डायबिटीज़ ही नहीं और भी कई नुकसान हैं चीनी खाने के|तो चलिए जानते है इसके बारे में|
शक्कर को लेकर चेतावनी 1957 में न्यूट्रिशन के प्रोफेसर जॉन युडकिन ने दी थी| उन्होंने साफ कहा था कि जब दिल की बीमारी या अन्य गंभीर बीमारियों की बात आती है तो दोषी फैट नहीं चीनी है| विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता आया है कि दिन में ली जाने वाली कैलरीज़ में शक्कर की मात्रा 10% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए|लेकिन अब संगठन ने इसे 5% नीचे करने के लिए कहा है| एक स्वस्थ व्यस्क के लिए इसका मतलब हुआ 25 ग्राम या कहें छह चम्मच चीनी प्रति दिन|वैसे हम बता दें कि कोक की एक कैन में 39 ग्राम शुगर होती है| तो क्या होता है जब आप बहुत ज्यादा शक्कर का सेवन करते हैं|
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दांतों पर हमला
1967 में हुए एक शोध में चीनी को दांतों में होने वाली कैविटीज़ के पीछे की सबसे बड़ी जड़ बताया गया था| दांत तब खराब होते हैं जब दांतों में रहने वाले बैक्टेरिया का पेट चीनी से भरने लगता है, जिससे वह एसिड बनाते हैं और दांतों के एनैमल को धीरे धीरे बर्बाद करके रख देते हैं|
लगातार भूख का लगना
पेट भर गया है इस बात का एहसास आपको लेप्टिन नाम का हार्मोन करवाता है| जिनके शरीर में लेप्टिन का विरोध करने वाली ताकतें जन्म लेती हैं, उन्हें पेट भरने का एहसास होना कम होता जाता है| यही बात वज़न बढ़ने की वजह बन जाती है| शोध बताते हैं कि फ्रक्टोज़ (यानि फलों में पाई जाने वाली शक्कर) का जरूरत से ज्यादा ग्रहण करना शरीर में लेप्टिन के स्तर को बहुत अधिक बढ़ा देता है| इससे लेप्टिन हार्मोन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता कम होती जाती है| जब शरीर को यह पता लगना बंद हो जाए कि कितना खाना उसके लिए काफी है तो जाहिर तौर पर आप खाना ज्यादा खाएंगे और वज़न भी बढ़ता चला जाएगा| हालांकि इस मसले पर विज्ञान जगत एकमत राय नहीं बन पाई है|
इन्सुलिन प्रतिरोध
जब आप शक्कर से जुड़ा खाना ज्यादा खाते हैं तो आपके शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ती है| इन्सुलिन वो हार्मोन है जो आपके शरीर के खाने को ऊर्जा में बदलता है| जब इन्सुलिन का स्तर लगातार बढ़ता जाता है तो इस हार्मोन के प्रति आपका शरीर संवेदनहीन होने लगता है| नतीजा – खून में ग्लुकोज़ बनने लगता है|इन्सुलिन प्रतिरोध के लक्षणों में थकावट, भूख, हाय बीपी शामिल है| शरीर के बीच के हिस्से में वजन बढ़ने लगता है| लोगों को तब तक एहसास नहीं होता कि उनका शरीर इन्सुलिन प्रतिरोधक बनता जा रहा है, जब तक कि यह समस्या डायबीटिज़ में नहीं बदल जाती|
डायबिटीज़
2008 में दुनिया भर में करीब 34 करोड़ 70 लाख लोग डायबिटीज़ के शिकार थे| विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2015 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 6 करोड़ 90 लाख से ज्यादा यानि 8.7% जनता डायबिटीज़ की शिकार है| डायबिटीज़, इन्सुलिन प्रतिरोध का ही अगला स्तर है जब आपका शरीर ठीक से इन्सुलिन बनाना बंद कर देता है| ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाली इन्सुलिन हमें ऊर्जा देती है|जब वो अपना काम करना बंद कर देती है तो खून में ग्लुकोस यानि चीनी की मात्रा बढ़ने लगती है| वक्त के साथ हाय ब्लड शुगर शरीर के हर एक अंग पर असर डालना शुरू कर देती है| इसकी वजह से दिल का दौरा, नर्व डैमेज, किडनी की खराबी, अंधापन या संक्रमण जैसी बीमारी घर लेती है|
ये था आज का पोस्ट आपके लिए उम्मीद करते है आप आज से चीनी कम खायेंगे|