जीवन और मरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो किसी से बची नही है| जो पैदा हुआ है उसे मरना पड़ेगा|और वो फिर से जन्म लेगा और फिर से मरेगा| ये एक ऐसा चक्का है जो चलता रहता है| पुराणों के अनुसार मनुष्य 84 लाख जुनिया भोगने के बाद इंसानी रूप लेता है वो भी मुक्ति के लिए और अगर उसे मुक्ति नही मिली तो वो फिर से इन्ही चक्कर में फंस जाता है| वो इस चक्कर से जब तक नही निकल सकता जब तक उसे मोक्ष्य प्राप्त न हो जाये| आप सभी ने अपने पास कभी न कभी देखा होगा जब किसी की मुत्यु होती है तो कुछ ऐसी क्रियाये देखने को मिलती है जिनके बारे में हम सब नही जानते है जैसे जब किसी अर्थी को ले जाते है तो राम नाम सत्य है क्यूँ बोलते है, महिलाये शमशान में क्यूँ नही जाती और किसी मृत शरीर के सर पे डंडा क्यूँ मारा जाता है| तो चलिए आपको आज इन सब के बारे में बताते है|
अंतिम संस्कार की एक प्रथा के दौरान मरने वाले के बेटे को शव के सर पर डंडे से मारने के लिए कहा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मरने वाले के पास यदि कोई तंत्र विद्या है तो कोई दूसरा तांत्रिक उसकी विद्या को चुराकर उसकी आत्मा को अपने वश में ना कर सके|आत्मा को वश में कर लेने पर वह उससे कोई भी बुरा काम करवा सकता है| इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद लोग अपना सिर भी मुंडवा देते हैं| सिर मुंडवाने की प्रथा घर के सभी पुरुषों के लिए अनिवार्य होती है | इसके विपरीत महिलाओं के लिए ऐसा कोई नियम-कानून नहीं है इसलिए उन्हें अंतिम क्रिया की प्रक्रिया से दूर रखा जाता है|
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हिंदू धर्म में व्यक्ति के मरने के बाद महिलाएं शमशान घाट नहीं जाती| मृत इंसान के साथ चाहे कितना गहरा रिश्ता क्यूँ न हो उसके बावजूद महिलाओं को शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता|लेकिन जैसे-जैसे वक़्त बदला है समाज में भी बदलाव आ जाते है | मॉडर्न समाज के कुछ लोग महिलाओं को अपने साथ शमशान घाट ले जाते हैं| उन्हें इस बात में कोई आपत्ति नज़र नहीं आती|
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पर आखिर सिर्फ महिलाओं को ही क्यों शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता? क्या वजह होती है इसके पीछे? दरअसल, कहते हैं कि महिलाओं का दिल पुरुषों के मुकाबले बेहद नाज़ुक होता है | यदि शमशान घाट पर कोई महिला अंतिम संस्कार के वक़्त रोने या डरने लग जाए तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती| कहते हैं कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है और महिलाओं का कोमल दिल यह सब देख नहीं पाता| एक मान्यता की मानें तो शमशान घाट पर आत्माओं का आना-जाना लगा रहता है और ये आत्माएं महिलाओं को अपना शिकार पहले बनाती हैं|
इसके अलावा महिलाएं घर पर इसलिए भी रुकती हैं ताकि शमशान घाट से वापस आने पर वह पुरुषों का हाथ पैर धो कर उन्हें पवित्र कर सकें|
हिंदू धर्म में भगवान राम की भी बहुत मान्यता है| कहते हैं कि अगर किसी ने भगवान राम के नाम का 3 बार जप कर लिया तो यह अन्य किसी भगवान के 1000 बार नाम जपने के बराबर है| इसलिए अक्सर आपने देखा होगा कि शव ले जाते वक़्त लोग ‘राम नाम सत्य है’ कहते हुए जाते हैं. इस वाक्य का अर्थ है कि ‘सत्य भगवान राम का नाम है’| यहां राम ब्रम्हात्म यानी की सर्वोच्च शक्ति की अभिव्यक्ति करने के लिए निकलता है| इस दौरान मृतक के शरीर का कोई अस्तित्व नहीं रहता. आत्मा अपना सब कुछ त्याग कर भगवान के शरण में चली जाती है और यही अंतिम सत्य है|
तो ये थी शव यात्रा और अंतिम संस्कार से जुडी कुछ जरुरी बाते उम्मीद करते है आपको पसंद आएगी|