आज तक अपने हमेशा सभी मंदिरों में सूंड वाले गणेश ही देखे होंगे| क्यूंकि हम सब वो कहानी जानते है की किस तरह भगवान शिव ने गुस्से में आकर गणेश का सिर अपने त्रिशूल से अलग कर दिया था और तभी से सूंड वाले गणेश जी की पूजा की जाती है| तो चलिए आज आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते है जंहा बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा की जाती है|
यह मंदिर जयपुर के नाहरगढ़ पहाड़ी पर स्थित है और यहां गणेश जी की बाल रूप प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं। यह मंदिर बहुत पुराना है और यह गढ़ गणेश के नाम से भी मशहूर है। यह मंदिर करीब 350 साल पुराना है। यहां नाहरगढ़ की पहाड़ी पर महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ किया और यहां गणेश जी की बाल रूप वाली मूर्ति स्थापित की।इसके बाद ही जयपुर शहर की नींव रखी गई थी। इस मंदिर के पास खड़े होकर पूरे जयपुर का सुदर नजारा लिया जा सकता है।
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इस मंदिर में गणपति जी की मूर्ति इस तरह स्थापित की गई है कि जयपुर के इंद्र पैलेस से दूरबीन के जरिए भगवान के सीधे दर्शन किए जा सकते हैं। कहा जाता है कि इंद्र महल के राजा दूरबीन से भगवान के दर्शन करते थे।
1- इस मंदिर में कुल 365 सीढ़ियां है और मंदिर के निर्माण के समय हर रोज एक सीढ़ी बनाई जाती थी। इसी तरह एक साल में इन सीढ़ियों का बनवाया गया।
2- इस मंदिर के रास्ते में एक शिव मंदिर भी आता है जिसमें पूरे शिव परिवार की तस्वीर रखी गई है।
3-बिना सूंड वाले गणेश जी के इस मंदिर में लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
5-इस मंदिर में 2 चूहे स्थापित किए गए हैं और कहा जाता है कि लोग अपनी इच्छाएं इन चूहों के कान में कहते हैं जो बहुत जल्द पूरी हो जाती हैं।
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6-इस मंदिर में भगवान की फोटो खींचना सख्त मना है।
तो ये था आज पोस्ट उम्मीद है आपको पसंद आएगा|