एक गाँव ऐसा भी जंहा बच्चे पैदा करने पर है मनाही|

एक गाँव ऐसा भी जंहा बच्चे पैदा करने पर है मनाही|
 

बच्चे किसे अच्छे नही लगते छोटे से प्यारे से ठीक से ना बोल पाना उनकी हर वो बात जो वो करते है सबको खुश  कर देती है| पुरे दिन की थकावट उनकी एक मुस्कान से दूर भाग जाती है| हम सब लोग बस यही दुआ करते है कम से कम एक बच्चा तो हो घर में चाहे वो लड़की हो या लड़का| पर अपने कभी ये सुना है की कही ऐसी जगह भी है जंहा आप बच्चे पैदा नहीं कर सकते सुनकर थोडा नहीं बहुत अजीब लगा होगा आपको पर यह सच है|तो चलिए आज आपको ऐसी ही जगह के बारे में बताते है|

एक गाँव ऐसा भी जंहा बच्चे पैदा करने पर है मनाही|


एक ऐसा भी गांव है, जहां बच्चे पैदा करने की मनाही है| ये गांव मध्य प्रदेश में है| गुर्जरों के इस गांव में बच्चे इसलिए पैदा नहीं किए जाते, क्योंकि यहां माना जाता है कि अगर उन्होंने गांव में बच्चे पैदा किए तो यहां का श्याम मंदिर अपवित्र हो जाएगा|

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ये गांव भोपाल से 77 किलोमीटर दूर है| नाम है सांका जागीर| यहां की आबादी करीब 1200 लोगों की है| गांव में गुर्जरों का बाहुल्य है| इस गांव में न जाने कितने दशकों से कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ| इसकी वजह भी अजीबोगरीब ही है| गांव वाले मानते हैं कि अगर गांव में बच्चे होंगे तो वहां का श्याम मंदिर अपवित्र हो जाएगा|

कई दशकों से नहीं हुआ प्रसव

इसी मान्यता के चलते कई दशकों से इस गांव में किसी महिला का प्रसव नहीं हुआ है| जब भी किसी महिला को प्रसव होने वाला होता है तो उसे गांव से बाहर लेकर जाया जाता है| महिला का प्रसव या तो उसके मायके में या शहर के किसी अस्पताल में या फिर अंतिम विकल्प के तौर पर गांव के बाहर खेतों में ही होता है| गांव के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि यदि किसी का बच्चा गांव में पैदा होता है तो वह विकलांग हो जाएगा या फिर उस परिवार पर मुसीबतें टूट पड़ेंगी|



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इस गांव में 35 साल तक सरपंच रहे मांगीलाल सिंह बताते हैं कि हमने अपने जीवन में नहीं देखा कि किसी महिला ने गांव में बच्चे को जन्म दिया हो| तो उसे गांव के बाहर भेज देते हैं

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यदि महिला अपने मायके या अस्पताल नहीं जा पातीं तो उसे डिलीवरी की तारीख के एक हफ्ते पहले खेतों में बनी झोंपड़ी में शिफ्ट कर दिया जाता है| खुद मांगीलाल बताते हैं कि उनके आठ लड़के हैं| सभी खेत में बनी झोपड़ी में पैदा हुए|

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सरपंच चाहते हैं बंद हो ये प्रथा 

उनके बेटे और नए सरपंच नरेंद्र सिंह इस प्रथा को कुरीति मानते हैं| वो अपने गांव को इस अजीब मान्यता से छुटकारा दिलाना चाहते हैं| पंचायत के बाकी सदस्य भी उनके साथ हैं| प्रशासन भी उनकी सहायता करने के लिए तैयार है| सरपंच नरेंद्र अब गांव वालों को यह समझाने में लगे हैं कि हम श्यामजी को पूजते हैं, तो उन पर विश्वास भी करना चाहिए| उनके कारण कोई क्यों विकलांग पैदा होगा| यह केवल अंधविश्वास है|

 

तो ये था आज का पोस्ट आपके लिए उम्मीद करते है आपको पसंद आएगा|

By SUDHIR KUMAR

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