ये तो आप लोग सब जानते है की पुराने समय मे किसी व्यक्ति को पैसे भेजना कितना मुश्किल काम होता था। परंतु आज के समय में तो यह चुटकियों का काम है। आपको याद होगा की पहले आपको पैसे भेजने के लिए पोस्ट ऑफिस या बैंक जा कर उस आदमी के नाम मनी ऑर्डर करना पड़ता था| जो एक उबाऊ काम था आज के समय में ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं है। जिसको भी पैसा भेजना है बस उसका बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड पता होना चाहिए और पैसे तुरंत उसके खाते में पहुंच जाते हैं। मोबइल बैंकिंग या इन्टरनेट बैंकिंग इसी के उदाहरण है जबकि पुराने जमाने में पैसे पहुंचने में हफ़्तों लग जाते थे।
लेकिन पैसे के लेन-देन में आज भी लोग चेक का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। चेक के लेन-देन में चेक नंबर और चेक पर लिखे हुए अन्य नंबरों का उपयोग होता है। चेक का उपयोग करते समय कभी कभी लोगों को परेशानी का अनुभव भी होता है। उन्हें चेक में लिखे नंबरों का मतलब पता नहीं होता है। आइए आपको आज चेक पर लिखे हुए 23 अंको के नंबरों का मतलब समझाते हैं|
चेक नंबर
चेक में लिखे हुए शुरू के 6 नंबर को चेक नंबर कहा जाता है। यह चेक नंबर चेक का रिकॉर्ड रखने के लिए बनाया जाता है। यह एक अति आवश्यक नंबर है जो प्रत्येक चेक के लिए एक अद्वितीय नंबर होता है।
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ऍमआईसीआर कोड(MICR Code)
चेक में 6 नंबर के चेक नंबर के बाद नौ नंबर का कोड आता है जिसे MICR (Magnetic Ink Character Recognition) कोड कहते हैं। MICR कोड से चेक जारी करने वाले बैंक की पहचान होती है। यह कोड चेक रीडिंग मशीन द्वारा पढ़ा जाता है। इस कोड को तीन भागों में विभाजित किया गया है। MICR कोड के पहले 3 अंक से बैंक किस राज्य और शहर में स्थित है इसकी जानकारी मिलती है। अर्थात बैंक का लोकेशन रिकॉर्ड होता है। अगला 3 अंक उस बैंक का एक अद्वितीय कोड होता है जो सभी बैंकों के लिए एक अनिवार्य अलग निर्धारित कोड होता है। और सबसे अंत का 3 अंक बैंक की ब्रांच कोड का सूचक होता है बैंक के सभी ट्रांजैक्शन बैंक के ब्रांच कोड पर ही निर्भर होते हैं।
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अकाउंट नंबर।
MICR कोड के बाद अगले 6 अंक ग्राहक का बैंक अकाउंट नंबर होता है।
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ट्रांजेक्शन ID
23 डिजिट के नंबर के आखिरी दो नंबर ग्राहक के खाते के नंबर होते हैं जोकि लोकल चेक में 9, 10 और 11 के रूप में होते हैं जबकि 851 में 29, 30 और 31 के रूप में लिखे होते है।
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