सजा हर किसी को सुधरने का मौका देती है| पर कुछ सजाये ऐसी भी होती है जिसके बाद आपको पूरी जिन्दगी सुधरने का मौका नही मिलता है| और वो सजा है मौत की सजा| हमारे भारतीय कानून के अंतर्गत सजाए मौत वो आखिरी सजा है जो किसी अपराधी को दी जाती है| और ये सजा किसी ऐसे ही अपराधी को दी जाती है जिसने कोई बहुत बड़ा गुन्हा किया हो जो माफ़ी के काबिल ही ना हो| वैसे तो हमारे भारत में आखिरी मौत की सजा याकूब मेनन को हुई थी साल 2015 में| पर आप सभी ने असलियत में तो नही पर शायद फिल्मो में तो जरुर देखा होगा की जब जज ये सजा सुनते है तो जिस पेन से वो लिख रहे होते है उसकी निब तोड़ देते है| और ये सच भी है तो चलिए आज जानते है इसी रहस्य के बारे में की आखिर ऐसा क्यूँ होता है|
भारतीय कानून में सबसे बड़ी सजा फांसी की सजा होती है| भारत में सिर्फ ऐसे व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई जाती है जिसने बहुत ही बड़ा या बुरा अपराध किया हो| जज इस सजा को सुनाने के बाद अपने पेन की निब को तोड़ देता है इस आशा में की दुबारा ऐसा अपराध ना हो|
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एक और कारण ये भी है की इस सजा के बाद किसी व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है| इसलिए इस सजा को सुनाने के बाद पेन की निब तोड़ दी जाती है ताकि पेन का भी जीवन समाप्त हो जाये| और इसके बाद पेन द्वारा कुछ भी और लिखा न जा सके|
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फांसी की सजा किसी भी बड़े अपराध के लिए अंतिम सजा होती है| अगर एक बार जज द्वारा फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है तो इसके बाद इसे किसी भी प्रक्रिया द्वारा बदला नहीं जा सकता है| इस वजह से जब पेन से मौत लिखा जाता है तब उसकी निब तोड़ दी जाती है|
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यह भी माना जाता है की अगर फेसले के बाद पेन की निब तोड़ी जा चुकी है|तो इसके बाद खुद उस जज को भी यह अधिकार नहीं होता है की वो दुबारा उस फैसले को बदलने के बार में सोच सके| पेन की निब टूट जाने के बाद इस फैसले पर दुबारा विचार भी नहीं किया जा सकता|
तो ये थी जानकारी आपके लिए उम्मीद करते है आपको पसंद आएगी|
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