एक किला जिसमे शाम के बाद रुकना माना है |
 

हमारे देश में कई ऐसी जगह है जहाँ आज भी लोग भूत प्रेत में विश्वास करते है | कुछ लोग तो उन्हें देखने का दावा भी करते है तो कही किसी ने उन्हें महसूस किया होता है | हमारे लिए ये एक बड़ी समस्या का विषय है क्यूंकि हमे जल्दी से उनकी बातो पर यकीन नही होता पर जिन्होंने उन्हें देखा या महसूस किया है सच तो वही जानते है | और ये सब यहाँ ही नही विदेशो तक में होता है कही होनटेड हाउस है तो कही होनटेड होटल हम कई बार  इन्टरनेट पर या न्यूज़ में भी सीसी टीवी फुटेज देखते है इन विडियो में हमे परछाई दिखाई देती है फिर एक दम से गायब हो जाती है | समझ में नही आता ये वास्तविक है या बनावटी |

तो चलिए आज हम आपको ऐसी एक जगह के बारे में बतायेंगे जो की भारत में ही है और भूतहा है|

एक किला जिसमे शाम के बाद रुकना माना है |

भानगढ के बारे में तो आप लोगो ने सुना ही होगा | जिसे भूतो का इलाका कहा जाता है |भूतो के मामले में यह फेमस जगह है | वैसे तो इन् बातो पर कोई विश्वाश नही करता लेकिन कुछ पुराने इतिहास है जिन पर लोगो को विश्वाश करना ही होगा और कुछ लोग करते भी है | राजस्थान के भानगढ़ जिले का उजड़ा हुआ किला भूतों के डरावने किले के नाम से देश विदेश में चर्चित है। यहाँ जाने के लिए अलवर और जयपुर से सड़क द्वारा जाया जा सकता है दौसा से भानगढ़ की दुरी 22 किलोमीटर दूर है। भानगढ़ कि कहानी बड़ी ही रोचक है। भानगढ़ 16 वी शताब्दी में बसा था। 300 साल तक भानगढ़ खूब फलता फूलता था। यहाँ किसी चीज की कोई कमी नही थी पर यहाँ की सुंदर राजकुमारी पर एक तांत्रिक ने जादू कर दिया पर उस जादू का असर उल्टा हो गया जिसके कारण की मृत्यु हो गई | पर उसने मरने से पहले राजकुमारी को श्राप दे दिया | उसकी मौत के एक महीने बाद ही भानगढ के पडोसी राज्य ने उस पर आक्रमण कर दिया और सब मारे गए और ये इलाका वीरान हो गया और आज भी यह वीरान ही है | कहा जाता है कि उस राजकुमारी औरके सनिको को कबी मुक्ति नही मिल पाई और उन सब की आत्मा आज भी भटकती है |

ये भी पढ़े-एक टीवी सीरियल जिसे लोग करवाना चाहते है बंद |पर क्यूँ ?

आइये आपको भानगढ की कहानी विस्तार में बताये|

एक किला जिसमे शाम के बाद रुकना माना है |

भानगढ़ का किला अलवर जिले में स्तिथ है। इस किले से कुछ दुरी पर विश्व प्रसिद्ध सरिस्का राष्ट्रीय उधान (Sariska National Park) है। भानगढ़ के तीनो तरफ़ पहाड़िया है। सबसे पहले बड़ी प्राचीर है जिसने दोनो तरफ़ की पहाड़ियों को जोड़ रखा है। इसके मुख्य द्वार पर हनुमान जी का मंदिर हैं। इसके बाद बाजार शुरू हो जाता है, इसके पश्चात राज महल आता है। इस किले में कई तरह के मंदिर भी है जैसे भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के प्रमुख मंदिर हैं।


इस किले को राजा भगवंत दास जी सन 1573 में बनवाया था | भानगढ़ के बसने के बाद यह 300 वर्षो तक खुशहाल रहा| मुग़ल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल व भगवंत दास के छोटे बेटे व अम्बर के महान मुगल सेनापति, मानसिंह के छोटे भाई राजा माधौसिंह ने बाद में सन 1613 में इसे अपनी रिहाइश बना लिया था |माधौसिंह की मृत्यु बाद उसका पुत्र छत्र सिंह गद्दी पर बैठा। छत्र सिंह के बेटे अजब सिह ने पास ही अजबगढ़ बनवाया और वहीं उसमे रहने लगा। यहाँ उस समय राजा औरंगजेब का शासन था। औरंगजेब कट्टर मुसलमान था। उसने अपने बाप को भी जीवित नहीं छोड़ा था तो इन्हे कहाँ छोड़ देता । उसके दबाव में आकर हरिसिंह के दोनों बेटे मुसलमान बन गए, जिन्हें मोहम्मद कुलीज एवं मोहम्मद दहलीज के नाम से जाना जाने लगा। बाद में सभी को मारकर महाराजा सवाई जय सिंह ने भानगढ़ पर कब्जा कर लिया तथा माधो सिंह के वंशजों को गद्दी सोप दी।

ये भी पढ़े-एक मंदिर ऐसा जिसमे ना कोई देवी ना कोई देवता |

तांत्रिक के श्राप का कारण-

एक किला जिसमे शाम के बाद रुकना माना है |

कहा जाता है की भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत सुंदर थी |उसकी खुबसुरती देखने लायक थी उसके रूप की चर्चा पुरे राज्य में हुआ करती थी | राजकुमारी से विवाह करने के लिए देश के कोने कोने से राजकुमारों के प्रस्ताव आया करते थे | उस टाइम उनकी उम्र 18 वर्ष ही थी | उनका यौवन उनके रूप में हर दिन निखार ला रहा था | उसी दौरान एक दिन राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाज़ार गई | राजकुमारी इत्र की दुकान पर पहुंची और वो कई प्रकार के इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू को सूंघने लगी थी। उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूर सिंधु सेवड़ा नाम का व्यक्ति खड़ा होकर उन्हे देखे जा रहा था।

ये भी पढ़े-जल्दी ही आप वाशिंग मशीन को कहेंगे बाय बाय |

सिंधु सेवड़ा उसी राज्य के अंदर रहता था और वो काले जादू को बहुत ही अच्छी तरह से जनता था। ऐसा बताया जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का बहुत दिवाना था और उनसे प्रेम करता था। वो किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर एक इत्र की बोतल जिसे रानी पसंद कर रही थी| उस बोतल के ऊपर काला जादू कर दिया जो राजकुमारी को अपने वश में करने के लिए किया था। लेकिन एक विश्वशनीय व्यक्ति ने इस राज के बारे राजकुमारी को में बता दिया।


राजकुमारी ने उस इत्र की बोतल को उठाया और वही पास के एक पत्थर पर पटक दिया। पत्थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गई और सारा इत्र पत्थर पर गिर गया। इसके बाद वो पत्थर फिसलते हुए उस तांत्रिक के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कुचल दिया, जिससे उस तांत्रिक की मौत हो गयी। मरने से पहले तांत्रिक ने श्राप दे दिया कि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्दी ही मारे जायेंगे और वो दोबारा जन्म नहीं ले सकेगे और उम्रभर उनकी आत्मांएं इस किले में भटकती ही रहेंगी।उस तांत्रिक के मौत को कुछ ही दिन हुए थे की भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सभी लोगो की मृत्यु हो गई। यहां तक की राजकुमारी की भी मौत हो गयी। एक ही किले में एक साथ वहां मौत की चींखें गूंज गयी और आज भी उस किले में उनकी रूहें घुमती हैं।

किलें में सूर्यास्ता के बाद प्रवेश बंद कर दिया जाता है-

एक किला जिसमे शाम के बाद रुकना माना है |

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा खुदाई से इस बात का पता चला है की यह शहर एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है। वैसे तो इस किले की देख रेख और रखरखाव भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ ASI की टीम मौजूद रहती हैं। एएसआई ने सख्त तरिके से मना कर रखा है की सूर्यास्ता के बाद इस इलाके में कोई भी व्यक्ति नहीं रुकेगा।

ये भी पड़ेआलिशान जिंदगी जीने वाले बाबा को सुनाई कोर्ट ने सजा जाने कितने साल की हुई क़ैद

भानगढ़ किले के अंदर के मंदिर-

हमने आपको बताया कि इस किले में कई ऐसे मंदिर भी है जिसमे गोपीनाथ, मंगला देवी केशव राय और भगवान सोमेश्वर के मंदिर बहुत प्रमुख मंदिर हैं। इन मंदिरो कि एक खास विशेषता है कि जहाँ भानगढ़ खंडहर में तब्दील हो चूका है वही सारे मंदिर सही है। सोमेश्वर महादेव शिवलिंग है।भानगढ़ यात्रा के दौरान उस मंदिर के पुजारी से भूतों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यहाँ भूत तो है लेकिन भूत किले के अंदर केवल खंडहर में ही रहते है महल से निचे नहीं आ पाते है क्योकि महल की सीढ़ियों के पास भोमिया जी का मंदिर है जो उन्हें महल से बाहर आने से रोकता है।

यह है भानगढ़ कि कहानी आशा है की आपको पढ़कर बहुत ही अच्छा होगा। एक बात ओर अगर आप भानगढ़ घूमने जाये तो सावन ( जुलाई -अगस्त ) में जाए क्योकि भानगढ़ पहाड़ियो से घिरा हुआ है और सावन में उन पहाड़ियो में हरियाली रहती है।

 

By SUDHIR KUMAR

नमस्कार पाठको| I am Sudhir Kumar from haridwar. I am working with a company as a quality Engineer. i like to singing,listening music,watching movies and wandering new places with my friends. And now you can call me a blogger. If you have any suggestion or complain you direct mail me on sudhir.kumart.hdr1989@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.